संदेश

तिर धनुश के फोटो

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विश्व आदिवासी दिवस 2022

 आज चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय पर स्तिथ राणा पूंजा भवन में भील समाज की जिला स्तरीय बैठक का आयोजन किया गया बैठक में निर्णय लिया गया कि 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस समारोह जिला मुख्यालय पर ही मनाया जाएगा । बैठक में  खेमराज जी भील भट्ट कोटड़ी, शंभुलाल जी भील सेगवा, गोपाल जी भील आकोड़िया, राजुभाई भील पार्षद, नारायण जी भील नगावली, उदयलाल जी भील सरपंच भावलिया, हितेश भाई भील आंतरी, नारायण जी भील हट्टीपुरा, सुरजमल जी भील घटियावली , श्यामलाल जी भील ओछड़ी, नारायणी बाई भील सामाजिक कार्यकर्ता, उदय लाल जी भील रावतभाटा, कमलेश जी भील चितौड़गढ़ , मदन लाल जी भील आदि भील समाज के प्रतिनिधियों मौजूद रहे । #हितेश_भील_चित्तौड़गढ़ । सुनील चौहान भील निम्बाहेड़ा  आदिवासी नारायण भील निम्बाहेडा

भील प्रदेश की मांग ज्ञापन व भील प्रदेश संदेश वाहन यात्रा

 *जय जोहार साथीयों*         🙏🙏🙏 *भील प्रदेश मांग ज्ञापन व भील प्रदेश संदेश वाहन यात्रा* 💐 1. *साथीयों प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी प्रत्येक ब्लॉक स्तर पर भील प्रदेश की मांग को लेकर 15 जुलाई को ज्ञापन दिया जाएगा।* 💐 *जिसमें अनुसूचित क्षेत्र  राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र के सभी आदिवासी गणवीर/वीरांगनाओं को अधिकतम जोश, उमंग, सक्रियता से पारंपरिक आदिवासी वेशभूषा भाग लेना है।* 🌺 2. *ठीक उसी जोश, उमंग, सक्रियता से 17 जुलाई 2022 "भील प्रदेश संदेश वाहन यात्रा" (मानगढ़ धाम) में भी बढ़- चढ़कर भाग लेना है।   इस यात्रा की पूर्व तैयारी में हमको आदिवासी तीन नेजा(सफेद,लाल,हरा(चांद सूरज वाला)) अभी से तैयार कर लेना है।, अपने गांव की नदी का  बहता पानी, बोतल में भरकर मानगढ़ धाम को पवित्र करने हेतु ले जाना है।* ☝️☝️☝️ 🌷 *उक्त दोनों कार्यक्रम के प्रचार - प्रसार एवं संवैधानिक जनजागृति  को लेकर जिम्मेदार साथी प्रत्येक गांव/मोहल्ले में पॉकेट मीटिंग जारी कर लेवे।* *जय जोहार* *जय आदिवासी* *जय भील प्रदेश* *उलगुलान जारी रहे।*      ...

क्रांतिकारी श्री अल्लुरी सीताराम राजु जी की जयंती

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  भारत की आज़ादी के लिए अपने प्राणों  का बलिदान करने वाले सन 1922-24 में रम्पा आंदोलन की आवाज बुलंद करने वाले महान आदिवासी क्रांतिकारी श्री अल्लूरी सीताराम राजू जी की जयंती पर कोटि कोटि नमन... * * सुनील चौहान भील निम्बाहेड़ा *

आदिवासी धर्म कोड़ की माग

 जोहार       आदिवासियों के लंबे संघर्ष के बाद ब्रिटिश हुकूमत में  1871-72 से आदिवासी धर्मकोड लागू किया गया परंतु स्वतंत्र भारत के बाद भारत की कांग्रेस सरकार द्वारा 1961 में धर्मकोड संख्या 7 को समाप्त कर दिया गया इसके बाद इस मुल्क के आदिवासियों को विभिन्न धर्मों में बांट दिया गया यह षड्यंत्र आदिवासियों की मूल पहचान , संस्कृति और उनके संवैधानिक अधिकार समाप्त करना था वर्तमान समय में भाजपा  समर्थित राष्ट्रीय जनजाति सुरक्षा मंच के द्वारा पूरे देश में डी -लिस्टिंग के द्वारा भारत देश के आदिवासी क्षेत्रों में निवास कर रहे धर्मांतरित और अधर्मांतरित आदिवासियों को बांटकर आदिवासी क्षेत्रों को समाप्त करने का षड्यंत्र है ताकि आदिवासियों के संवैधानिक अधिकार समाप्त हो जाए जैसे पांचवी , छठवीं अनुसूची , पेसा एक्ट तथा सामान्य क्षेत्र के आदिवासियों का आरक्षण समाप्त किया जा सके। यह भाजपा कांग्रेस क्या बहुत बड़ा षड्यंत्र है जिसका विरोध भारतीय ट्रायबल पार्टी करती इस मुल्क में निवास करने वाले प्रत्येक आदिवासी के संवैधानिक अधिकारों की आवाज को बुलंद करने के लिए आदिवासियों के मसीहा म...

भील बालिका कालीबाई का बलिदान

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 19 जून/बलिदान-दिवस भील बालिका कालीबाई का बलिदान           15 अगस्त 1947 से पूर्व भारत में अंग्रेजों का शासन था। उनकी शह पर अनेक राजे-रजवाड़े भी अपने क्षेत्र की जनता का दमन करते रहते थे। फिर भी स्वाधीनता की ललक सब ओर विद्यमान थी, जो समय-समय पर प्रकट भी होती रहती थी। राजस्थान की एक रियासत डूंगरपुर के महारावल चाहते थे कि उनके राज्य में शिक्षा का प्रसार न हो। क्योंकि शिक्षित होकर व्यक्ति अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो जाता था; लेकिन अनेक शिक्षक अपनी जान पर खेलकर विद्यालय चलाते थे। ऐसे ही एक अध्यापक थे सेंगाभाई, जो रास्तापाल गांव में पाठशाला चला रहे थे।  इस सारे क्षेत्र में महाराणा प्रताप के वीर अनुयायी भील बसते थे। विद्यालय के लिए नानाभाई खांट ने अपना भवन दिया था। इससे महारावल नाराज रहते थे। उन्होंने कई बार अपने सैनिक भेजकर नानाभाई और सेंगाभाई को विद्यालय बन्द करने के लिए कहा; पर स्वतंत्रता और शिक्षा के प्रेमी ये दोनों महापुरुष अपने विचारों पर दृढ़ रहे। यह घटना 19 जून, 1947 की है। डूंगरपुर का एक पुलिस अधिकारी कुछ जवानों के साथ रास्तापाल आ पहुंचा। उसने अ...