संदेश

जून, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

आदिवासी धर्म कोड़ की माग

 जोहार       आदिवासियों के लंबे संघर्ष के बाद ब्रिटिश हुकूमत में  1871-72 से आदिवासी धर्मकोड लागू किया गया परंतु स्वतंत्र भारत के बाद भारत की कांग्रेस सरकार द्वारा 1961 में धर्मकोड संख्या 7 को समाप्त कर दिया गया इसके बाद इस मुल्क के आदिवासियों को विभिन्न धर्मों में बांट दिया गया यह षड्यंत्र आदिवासियों की मूल पहचान , संस्कृति और उनके संवैधानिक अधिकार समाप्त करना था वर्तमान समय में भाजपा  समर्थित राष्ट्रीय जनजाति सुरक्षा मंच के द्वारा पूरे देश में डी -लिस्टिंग के द्वारा भारत देश के आदिवासी क्षेत्रों में निवास कर रहे धर्मांतरित और अधर्मांतरित आदिवासियों को बांटकर आदिवासी क्षेत्रों को समाप्त करने का षड्यंत्र है ताकि आदिवासियों के संवैधानिक अधिकार समाप्त हो जाए जैसे पांचवी , छठवीं अनुसूची , पेसा एक्ट तथा सामान्य क्षेत्र के आदिवासियों का आरक्षण समाप्त किया जा सके। यह भाजपा कांग्रेस क्या बहुत बड़ा षड्यंत्र है जिसका विरोध भारतीय ट्रायबल पार्टी करती इस मुल्क में निवास करने वाले प्रत्येक आदिवासी के संवैधानिक अधिकारों की आवाज को बुलंद करने के लिए आदिवासियों के मसीहा म...

भील बालिका कालीबाई का बलिदान

चित्र
 19 जून/बलिदान-दिवस भील बालिका कालीबाई का बलिदान           15 अगस्त 1947 से पूर्व भारत में अंग्रेजों का शासन था। उनकी शह पर अनेक राजे-रजवाड़े भी अपने क्षेत्र की जनता का दमन करते रहते थे। फिर भी स्वाधीनता की ललक सब ओर विद्यमान थी, जो समय-समय पर प्रकट भी होती रहती थी। राजस्थान की एक रियासत डूंगरपुर के महारावल चाहते थे कि उनके राज्य में शिक्षा का प्रसार न हो। क्योंकि शिक्षित होकर व्यक्ति अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो जाता था; लेकिन अनेक शिक्षक अपनी जान पर खेलकर विद्यालय चलाते थे। ऐसे ही एक अध्यापक थे सेंगाभाई, जो रास्तापाल गांव में पाठशाला चला रहे थे।  इस सारे क्षेत्र में महाराणा प्रताप के वीर अनुयायी भील बसते थे। विद्यालय के लिए नानाभाई खांट ने अपना भवन दिया था। इससे महारावल नाराज रहते थे। उन्होंने कई बार अपने सैनिक भेजकर नानाभाई और सेंगाभाई को विद्यालय बन्द करने के लिए कहा; पर स्वतंत्रता और शिक्षा के प्रेमी ये दोनों महापुरुष अपने विचारों पर दृढ़ रहे। यह घटना 19 जून, 1947 की है। डूंगरपुर का एक पुलिस अधिकारी कुछ जवानों के साथ रास्तापाल आ पहुंचा। उसने अ...

भील इतिहास / bhil history

चित्र
                        Bhil history  भीलों का अपना एक लंबा इतिहास रहा है, कुछ इतिहासकारो ने भीलों को द्रविड़ो से पहले का भारतीय निवासी माना तो कुछ ने भीलों को द्रविड़ ही माना है। मध्यकाल में भील राजाओं की स्वतंत्र सत्ता थी ।  करीब 11 वी सदी तक भील राजाओं का शासन विस्तृत क्षेत्र में फैला था ।  छठी शताब्दी में एक शक्तिशाली भील राजा का पराक्रम देखने को मिलता है जहां मालवा के भील राजा हाथी पर सवार होकर विंध्य क्षेत्र से होकर युद्ध करने जाते है । इडर में एक शक्तिशाली भील राजा हुए जिनका नाम राजा मांडलिक रहा ।  राजा मांडलिक ने ही गुहिल वंश अथवा मेवाड़ के प्रथम संस्थापक गुहादित्य को अपने इडर राज्य मे रखकर संरक्षण किया ।  गुहादित्य राजा मांडलिक के राजमहल मे रहता और भील बालको के साथ घुड़सवारी करता , राजा मांडलिक ने गुहादित्य को कुछ जमीन और जंगल दिए , आगे चलकर वही बालक गुहादित्य इडर साम्राज्य का राजा बना ।  गुहिलवंश की चौथी पीढ़ी के शासक नागादित्य का व्यवहार भील समुदाय के साथ अच्छा नहीं था इसी कारण भीलों और ...

आदिवासी भील समाज ने मुख्यमंत्री के नाम दिया ज्ञापन

चित्र
        भील समाज के मुदे  चित्तौड़गढ़ के सर्व भील समाज के कार्यकर्ताओं ने राजस्थान भील समाज विकास समिति के नेतृत्व में आज 17:00 6 2022 को मुख्यमंत्री महोदय के नाम राज्यपाल महोदय के नाम एवं विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी जी के नाम दिया ज्ञापन और अपनी मांग रखी गई की डूंगरपुर बांसवाड़ा प्रतापगढ़ उदयपुर ग्रामीण एवं सहरिया  जनजाति के तर्ज पर चित्तौड़गढ़ राजसमंद भीलवाड़ा एवं मावली तहसील वल्लभनगर तहसील के समझते जनजातीय समाज को भी आरक्षण दिया जावें आरक्षण के हिसाब से हर क्षेत्र में उनकी नियुक्ति हो क्योंकि हम भी तो आदिवासी भील समाज जन जाति से हैं तो देश आजाद हुए  75 साल हो गए हैं तो आरक्षण से हमें वंचित क्यों रखा जा रहा है सहरिया जनजाति की तर्ज पर हमें भी आरक्षण दिया जाए हर क्षेत्र में ताकि हमारा भी विकास होगा और हमें भी हमारा हक मिले इस प्रकार मांग की और ज्ञापन दिया फोटो 

हल्दीबाई भील

चित्र
 #हल्दी_बाई_भील_ का 446 वाँ बलिदान दिवस #18_जून_1576● आज ही के दिन (खमनोर की घाटी/ हल्दीघाटी के युद्ध में मेवाड़ के आत्मसम्मान के लिए लड़ते हुए पहला रक्त व अपने प्राणों का बलिदान देने वाली एक मात्र महिला वीरांगना #हल्दीबाई_भील को उनके बलिदान दिवस पर शतः शतः नमन ।। #हल्दीबाई_भील के बलिदान की वजह से ही खमनोर की उस घाटी को #हल्दीबाई_भील के सम्मान में हल्दीघाटी कहा जाने लगा ।। मुझे गर्व है कि में भारत के उस #भील_समुदाय से आता हूँ जिसने मेवाड़ ही नही भारत देश के लिए कही बलिदान दिए बस अफसोस इस बात का होता है कि #भील_महापुरुषों को इतिहास में वो स्थान नही मिला जिनके वे हक़दार थे ।। वर्तमान में कुछ नालायक लोग जो #राणा_पुंजा_भील के इतिहास के साथ छेड़छाड़ कर रहे में उनको सिर्फ इतना कहना चाहूंगा कि अगर मरे मुर्दों को उखाड़ोगे तो तुम्हारे बाप दादा भी #भील ही निकलेंगे ।। इसलिए अपने ओरिजनल बाप से मत उलझो वरना कही शक्ल दिखाने लायक नही बचोगे ।। सुनील चौहान भील निम्बाहेड़ा  President of India Narendra Modi PMO India Amit Shah Arjun Munda Ministry of Tribal Affairs, Government of India National Commissi...

उंदरी ओगणा पानरवा के भील राजा

चित्र
#ऊंदरी #ओगणा_पानरवा के भील राजा #राजा_बालव_भील एवं #राजा_देवा_भील ने बप्पा रावल को राजा बनाने में सहयोग किया था । उस समय #ऊंदरी एवं #ओगणा_पानरवा में इन्ही दो भील राजाओं का शासन था #राणा_पुंजा_भील को लेकर जो भ्रांतियां फैलाई जा रही है वो निंदनीय मेवाड़ पर आक्रमण के समय जब सभी राजपूत राजाओं ने मेवाड़ व महाराणा प्रताप के परिवार से मुंह मोड़ लिया था तब मुसीबत के समय #भीलों में महाराणा परिवार व मेवाड़ का साथ दिया । #महाराणा_प्रताप व उनके परिजनों को अपने क्षेत्रों में सुरक्षित रखा उनको खाना खिलाया उनके लिए युद्ध लड़े । #भीलों के इस समर्पण भाव के कारण ही आज भी मेवाड़ के राजचिन्ह पर एक तरफ राणा_पुंजा_भील तथा दूसरी तरफ महाराण प्रताप है । जिस प्रकार से #राणा_पुंजा_भील के इतिहास के साथ एक परिवार विशेष छेड़छाड़ कर रहा है वह निन्दनीय कृत्य है आज मेवाड़ में जो भील राजपूत प्रेम बना हुआ है ऐसी ही लोगों के कारण वह प्रेम अप्रेम में बदल रहा है इनके कारण दो समुदायों के बीच मे टकराव की स्तिथि ना बने वर्षो पुराना प्रेम और स्नेह ऐसे ही बना रहे में प्रकृति से प्रार्थना करूँगा की जो भी दो समुदायों में टकराव पैदा करना च...

rana punja bhil photos

चित्र
      राणा पुजा भील 👇

भील प्रदेश के भील राजाऔ के फोटो

चित्र
                  भील राजाऔ की फोटो फोटो डाउनलोड करे                          जोहार धन्यवाद