आदिवासी धर्म कोड़ की माग
जोहार आदिवासियों के लंबे संघर्ष के बाद ब्रिटिश हुकूमत में 1871-72 से आदिवासी धर्मकोड लागू किया गया परंतु स्वतंत्र भारत के बाद भारत की कांग्रेस सरकार द्वारा 1961 में धर्मकोड संख्या 7 को समाप्त कर दिया गया इसके बाद इस मुल्क के आदिवासियों को विभिन्न धर्मों में बांट दिया गया यह षड्यंत्र आदिवासियों की मूल पहचान , संस्कृति और उनके संवैधानिक अधिकार समाप्त करना था वर्तमान समय में भाजपा समर्थित राष्ट्रीय जनजाति सुरक्षा मंच के द्वारा पूरे देश में डी -लिस्टिंग के द्वारा भारत देश के आदिवासी क्षेत्रों में निवास कर रहे धर्मांतरित और अधर्मांतरित आदिवासियों को बांटकर आदिवासी क्षेत्रों को समाप्त करने का षड्यंत्र है ताकि आदिवासियों के संवैधानिक अधिकार समाप्त हो जाए जैसे पांचवी , छठवीं अनुसूची , पेसा एक्ट तथा सामान्य क्षेत्र के आदिवासियों का आरक्षण समाप्त किया जा सके। यह भाजपा कांग्रेस क्या बहुत बड़ा षड्यंत्र है जिसका विरोध भारतीय ट्रायबल पार्टी करती इस मुल्क में निवास करने वाले प्रत्येक आदिवासी के संवैधानिक अधिकारों की आवाज को बुलंद करने के लिए आदिवासियों के मसीहा म...